यदि आप कोई भी व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो सबसे पहला सवाल सबके दिमाग में यह आता है कि अपनी कंपनी कैसे शुरू करें, लाइसेंस कहां से मिलेगा, बिजनेस करने के लिए लोन कहां से मिलेगा या कैसे मिलेगा, कंपनी शुरू करने का तरीका तथा कंपनी शुरू करने के टिप्स न जाने ऐसे कितने सवाल हमारे दिमाग को परेशान करने लगते हैं तो चलिए आज इन सभी परेशानियों को मिटाते हैं व आपको जानकारी देते हैं कि आप अपने नाम पर कंपनी कैसे शुरू कर सकते हैं।

कंपनी क्या होती है (What is company)

जैसा कि नाम से ही जाहिर है कंपनी एक से अधिक लोगों का समूह है। कई बार आपने सुना होगा कि हमें उस व्यक्ति की कंपनी पसंद है यानी उसका साथ पसंद है। वैसे ही कंपनी में 1 से अधिक लोग कार्यरत होते हैं हालांकि ऐसा बिल्कुल नहीं है कि एक व्यक्ति कम्पनी नहीं चला सकता बल्कि एकल कम्पनी का मोडल एक व्यक्ति के ऊपर ही है। किंतु उसे अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और अकेले काम करने से समय निकाल पाना लगभग नामुमकिन सा हो जाता है और यदि किसी को निरंतर आगे बढ़ना है तो उसे अपनी टीम बनानी ही पड़ेगी, जिसमें लोगों को जॉब दे ताकि जो काम वह व्यक्ति अकेले 10 से 15 घंटे में करता है वही काम 3 से 4 घंटे में 5 से 10 गुना ज्यादा हो सके जिससे कंपनी  की कार्य क्षमता बढ़ेगी।

और अधिक प्रोडक्टिविटी बढ़ने से वह मार्केट में अधिक मात्रा में अपना प्रोडक्ट सेल कर सकता है। अब यहां आपको प्रोडक्ट समझने की जरूरत है प्रोडक्ट जरूरी नहीं कि कोई फिजिकल वस्तु ही हो यदि आप ऑनलाइन लेखन का कार्य करते हैं तो वह आपका प्रोडक्ट हो गया और आप इसे ऑनलाइन बेच सकते हैं, जैसे कई लेखक अपनी किताबें लिखकर ऑनलाइन सेल करते हैं। 
यदि विभिन्न प्रकार की कंपनी की बात करें तो कुछ कंपनियां लाभकारी संगठनों से जुड़ी होती हैं और कुछ कंपनियां गैर-लाभकारी संगठन से जुड़ी होती हैं जैसे एनजीओ गैर-लाभकारी संगठन होते हैं। 

कंपनी के प्रकार बताइए 

कंपनी कितने प्रकार की होती है – कंपनी कई प्रकार की होती है जैसे निजी कंपनी, सरकारी कंपनी, सार्वजनिक कंपनी, एकल कंपनी, साझेदारी कंपनी

आइए इन कंपनियों को एक-एक कर समझने की कोशिश करते हैं

निजी कंपनी (Private ltd company) 
इस कंपनी मॉडल के अंतर्गत दो या दो से अधिक व्यक्ति कंपनी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड होते हैं और एक अलग सी कंपनी बना देते हैं। एक व्यवसाय को स्पष्टता से चुनते हैं और उस व्यवसाय के अंतर्गत कंपनी को कार्यरत करते हैं।

एक व्यक्ति कंपनी क्या है (one person company India) 
एकल व्यक्ति कंपनी – जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह कंपनी एक व्यक्ति के द्वारा शुरू की जाती है इसे सिंगल पर्सन कंपनी भी कहा जाता है। कई बार ऐसा होता है कि एक से अधिक व्यक्तियों के विचार आपस में नहीं मिल पाते हैं और ऐसे में एक व्यक्ति अकेले ही अपनी खुद की कंपनी  शुरू कर देता है और धीरे-धीरे उसे आगे बढ़ाता है इसी को एक व्यक्ति कंपनी कहा जाता है हालांकि बाद में इसमें  कुछ और लोग जुड़ते चले जाते हैं।

सार्वजनिक कंपनी (Public limited company)
एक ऐसी कंपनी है जिसमें न्यूनतम 7 सदस्यों का होना आवश्यक है। यह एक पंजीकृत कंपनी होती है और इसमें अधिकतम सदस्यों की संख्या निश्चित नहीं होती। इस कंपनी के द्वारा अपने शेयर स्वतंत्र रूप से खरीदी और बेचे जा सकते हैं। 

साझेदारी कंपनी (Limited liability partnership)
यह कंपनी 2 या उससे अधिक व्यक्तियों द्वारा चलाई जाती है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है साझेदार यानी एक से अधिक व्यक्ति यानी पार्टनर। इस कंपनी को साझेदारी एक्ट के थ्रू चलाया जाता है जिसमें कोई भी निर्णय लेने के लिए दोनों पार्टनर का सहमत होना आवश्यक है। यदि दूसरे शब्दों में कहें तो इस कंपनी में दो या दो से अधिक मालिक होते हैं और किसी बड़े फैसले या कंपनी से जुड़े फैसले के लिए सब का सहमत होना भी आवश्यक होता है।

सरकारी कंपनी
यह कंपनी है सरकार द्वारा चलाई जाती है।

कंपनी की विशेषताएं

अप्रभावित कम्पनी – इस कंपनी में अक्सर एक से अधिक लोग मालिकाना अधिकार पर होते हैं। इस कंपनी में अक्सर बोर्ड ऑफ मेंबर्स का एक पैनल कार्यरत होता है जिसमें सभी मेंबर्स को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी जाती है जैसे किसी को अकाउंट्स की भूमिका दी जाती है, किसी को पब्लिसिटी और मार्केटिंग की तो किसी को अन्य भूमिका दी जाती है पर कंपनी से जुड़े बड़े और कड़े फैसले लेने के लिए सभी बोर्ड मेंबर का सहमत होना भी आवश्यक होता है। इस कंपनी मॉडल के तहत अक्सर बोर्ड ऑफ मेंबर्स की मीटिंग होती रहती है जो कि कंपनी के हित के लिए होती है। यदि किसी बोर्ड ऑफ मेंबर की अकाल मृत्यु हो जाए या कोई पागल हो जाए या कोई मेंबर दिवालिया हो जाए पूरी तरह से बर्बाद हो जाए तो भी इसका असर सीधे कंपनी पर नहीं पड़ता और कंपनी चलती रहती है यह इस कंपनी मॉडल की विशेषता होती है जिससे कंपनी निरंतर आगे बढ़ती रहती है जबकि यह एकल कंपनी मॉडल का सबसे बड़ा ड्रॉबैक है।

संघर्ष और सफलता – जब कोई कंपनी सफल होती है तो हर कोई उसकी सफलता की तारीफ करता है और उन्हें लगता है कि यह कंपनी रातों-रात सफल हो चुकी है। पर असल में ऐसा होता नहीं है क्योंकि जैसे एक पौधे को पेड़ बनने में सालों लगते हैं उसी प्रकार एक कंपनी को सफल होने में बहुत सारे समय के अलावा बहुत संघर्ष भी देखने पड़ते हैं कई बार तो कुछ लोगों की कंपनियां बंद होने की कगार पर आ जाती हैं पर वह हार नहीं मानते और उस बुरे वक्त को देखते हुए अपनी गति को  मजबूरन धीमा करके भी निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं और जो लोग उस बुरे वक्त में रुक जाते हैं थक जाते हैं और हार मान लेते हैं उनकी कंपनियां बंद पड़ जाती हैं। इसलिए जरूरी यह है कि वक्त चाहे अच्छा हो या बुरा हो आपको निरंतर आगे बढ़ना ही पड़ेगा अच्छे वक्त में आप की रफ्तार 5 से 10 गुना तेज होगी और बुरे वक्त में आप की रफ्तार 1 गुना या माइनस की भी हो सकती है पर जरूरी यह है कि आगे बढ़ते रहें भले ही बहुत धीमी गति से पर आगे बढ़ना जरूरी है और आगे बढ़ने के लिए निरंतर कार्य करते रहना जरूरी है।

स्वामित्व दायित्व – एक कंपनी में अनेक सदस्य होते हैं जो उस कंपनी के शेयर लेकर उस कंपनी के सदस्य बनते हैं। वे उस कंपनी के शेयर वार्षिक रूप से लेते हैं।
शेयर ट्रांसफर सुविधा – शेयर ट्रांसफर सुविधा सार्वजनिक कंपनी की सबसे बड़ी सुविधा में से एक है जब किसी मालिक को अपने द्वारा खरीदे गए शेयर को बेचना या ट्रांसफर करना होता है तो वह विनिमय के माध्यम से इसे आसानी से कर सकता है।

अपनी कंपनी कैसे रजिस्टर करें (How to register a company)

अपने बिजनेस को रजिस्टर कैसे करें  – अपने बिजनेस को रजिस्टर करवाने के लिए आपको कुछ शर्तों का पालन करना पड़ता है और कुछ नियमों को मानना पड़ता है। कंपनी रजिस्टर करवाने हेतु जरूरी जानकारी क्रमबद्ध तरीके से नीचे दी गई है

बिजनेस रजिस्ट्रेशन नंबर कोरिया – कोरिया रजिस्ट्रेशन नंबर भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत कंपनी के रजिस्ट्रेशन के समय जारी किया जाता है जो मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के द्वारा एक यूनिक आईडेंटिफिकेशन कोड होता है DIN  (Director Identification Number). यह कोड कंपनी के प्रबंधक का पहचान नंबर होता है अर्थात जो व्यक्ति कंपनी का मालिक बनना चाहता है उसे यह कोड प्राप्त करना आवश्यक होता है। 

फॉर्म dir-3 केवाईसी वेब – एमसीए पोर्टल पर जाकर dir-3 ई फॉर्म भरना पड़ता है। 
फॉर्म  डी आई आर-3 केवाईसी फीस – एमसीए पोर्टल पर यह फॉर्म भरने पर आपको ₹500 की फीस जमा करनी होती है।

डी एस सी रजिस्ट्रेशन – अब आपको डी एस सी प्राप्त करना होता है। डी एस सी का फुल फॉर्म डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट होता है। कंपनी के रजिस्ट्रेशन कार्य को शीघ्रता से पूरा करने के लिए डी एस सी सर्टिफिकेट लेना आवश्यक होता है उसके बाद आपको एक फॉर्म भरना होता है जो बिजनेस रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक है। 
अपनी कंपनी को रजिस्टर कराने के लिए आपको भारत सरकार द्वारा संचालित डीएससी कंपनी में जाकर रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करना होता है। आवेदन करते समय सारा खर्चा कंपनी के ऊपर निर्भर करता है e-mudra के अनुसार इसकी कीमत ₹899 रखी गई है। 

एमसीए पोर्टल नेम सर्च – अब आपको अपनी कंपनी का नाम रजिस्टर करवाना होता है और आपको ऐसा नाम रखना होता है जो किसी और कंपनी का रजिस्टर्ड नाम ना हो। यह पता लगाने के लिए कि आपके द्वारा सोचा गया नाम पहले से रजिस्टर है या नहीं आप एमसीए पोर्टल पर जाकर नाम सर्च कर सकते हैं कि यह पहले किसी यूज़र के द्वारा रजिस्टर करवाया गया है या नहीं।

आईएनसी 1 फॉर्म डाउनलोड – कंपनी का नाम रखने के बाद आपको inc-1 फॉर्म डाउनलोड करना होगा और उसमें अपनी पूरी जानकारी भी भर दें। अब आपकी कंपनी का नाम सुनिश्चित हो चुका हो तब यह नाम किसी और कंपनी के द्वारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता यदि कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो आप उन पर लीगल एक्शन लेने के हकदार बन चुके हैं।

कंपनी एक्ट 2015 इंडिया – कंपनी एक्ट 2015 भारत के अनुसार कंपनी के लिए कुछ खास नियम बनाए गए हैं इसका पालन करना किसी भी नई व पुरानी कंपनी के लिए आवश्यक है। इस एक्ट के अनुसार किसी भी कंपनी को पंजीकृत करवाते समय दो मुख्य दस्तावेजों को प्राप्त करना अनिवार्य है जिनके नाम हैं मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन। 
इन दस्तावेजों के अंदर कंपनी द्वारा  दिशा निर्देश और नियम कानून का पूरा ब्यौरा दिया जाता है जिसे किसी भी नई कंपनी को समझना और पालन करना जरूरी होता है। इन दस्तावेजों की अहमियत को देखते हुए यह जरूरी है कि इन्हें किसी खास समझदार व्यक्ति के द्वारा बनाया जाए जो कंपनी का विश्वसनीय भी हो।

इनकॉरपोरेशन फॉर्म फॉर कंपनी – उपरोक्त सभी कार्यों को पूरा करने के बाद आपको एक और फॉर्म जमा करना होता है। इस फॉर्म को आपको एमसीए पोर्टल में जाकर जमा करना होता है यह फॉर्म निम्न प्रकार के होते हैं : इ फॉर्म INC 2 तथा ई फॉर्म INC 7 
इनकॉरपोरेशन फॉर्म 2 (INC – 2) – यदि आप एकल कंपनी के लिए रजिस्टर कर रहे हैं तो आपको यह फॉर्म भरना होता है।
इनकॉरपोरेशन form-7 (INC – 7) –  यह फॉर्म एकल कंपनी के अलावा बाकी सभी कंपनियों के लिए भरा जाता है।

रजिस्ट्रेशन फॉर्म की प्रक्रिया के दौरान आप से स्टांप ड्यूटी ली जाती है जिसमें आपको कहे अनुसार कुछ पैसे जमा करने होते हैं। अब आपकी कंपनी की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी होती है 
रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद आपको चालान के साथ तथा स्टैंप ड्यूटी पूरी करने के बाद एक दस्तावेज दिया जाता है।
अब आपको अपने राज्य के उस स्थान को दिखाना होता है जहां पर आप ऑफिस या कंपनी स्थापित कर रहे हैं इसका वेरिफिकेशन किसी अधिकारी द्वारा किया जाता है। 

दस्तावेज की जांच – रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद आपके सभी दस्तावेज जमा हो जाते हैं जिनकी अब जांच पड़ताल होती है जिसमें कम से कम 2 दिन का समय लगता है। 

इनकॉरपोरेशन सर्टिफिकेट जरूरी – इनकॉरपोरेशन सर्टिफिकेट अपने आप में बेहद कीमती सर्टिफिकेट होता है।  आपके दस्तावेजों की जांच पूरी होने के बाद आपकी ईमेल आईडी पर यह सर्टिफिकेट आपको मिल जाता है जिसकी आप कॉपी करा कर अपने पास अवश्य रख ले और इसे ऑनलाइन भी अपने किसी और ईमेल आईडी पर सेंड कर दें ताकि यह आपके पास सुनिश्चित तौर पर सुरक्षित हो जाए क्योंकि भविष्य में इस सर्टिफिकेट का कई महत्वपूर्ण जगह पर इस्तेमाल होता है।

करंट अकाउंट ओपनिंग – जब आप अपनी कंपनी के नाम से चालू खाता खोलने जाते हैं तो बैंक द्वारा आपसे मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन की फोटो कॉपी मांगी जाती है।

बिजनेस पैन कार्ड कैसे बनाएं – फर्म का पैन कार्ड बनाने के लिए आप एनएसडीएल ऑनलाइन के माध्यम से अपना बिजनेस पैन कार्ड अप्लाई कर सकते हैं। बिजनेस पैन कार्ड आवेदन अवश्य करें और अपनी कंपनी के नाम एक पैन कार्ड पंजीकृत करवा ले

कंपनी रजिस्टर कैसे कराएं डाक्यूमेंट्स क्या लगाएं Company register documents required

पैन कार्ड –  यदि कंपनी में 1 या एक से अधिक सदस्य हैं तो सभी सदस्यों के पैन कार्ड की फोटो कॉपी संलग्न होगी।
पहचान प्रमाण पत्र –  कंपनी के सभी सदस्यों की पहचान प्रमाण पत्र की कॉपी संलग्न होगी।
पता प्रमाण पत्र –  कंपनी के सभी सदस्यों के पता प्रमाण पत्र की कॉपी संलग्न होगी। 
जमीन प्रमाण पत्र – यदि आपने कंपनी के ऑफिस के लिए जमीन खरीदी है तो उसका प्रमाण पत्र यदि आपकी खुद की जमीन पर आप ऑफिस खोल रहे हैं तो भी उसका प्रमाण पत्र और यदि आप जमीन किराए पर ले रहे हैं तो उसका प्रमाण पत्र जमा होगा।

व्यक्ति प्रमाण पत्र –  जो व्यक्ति कंपनी को पंजीकृत कर रहा है उसका स्वयं का प्रमाण पत्र रजिस्ट्रेशन के समय जमा होना जरूरी है और उसे अपनी पंजीकृत ईमेल आईडी भी उपलब्ध करानी होती है।

नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट –  यदि आपने जमीन किराए पर ली है तो जमीन के मालिक की तरफ से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट का जमा होना भी जरूरी होता है।

नोट – एक समय ऐसा था जब भारत में कंपनी रजिस्टर कराने के लिए लोगों को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता था और कई सारे लोगों की कंपनी रजिस्टर नहीं हो पाती थी। कंपनी रजिस्टर कराना साधारण व्यक्तियों से लेकर बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए भी काफी चुनौती भरा हुआ करता था जिस कारण विदेशी कंपनियां भी भारत में नहीं आती थी पर आजकल ऐसा नहीं है आज की तारीख में कंपनी रजिस्टर कराना कोई मुश्किल काम नहीं है यह आप बड़ी आसानी से कर सकते हैं क्योंकि सरकार ने इसमें से जटिलताओं को काफी हद तक दूर कर दिया है जिस कारण किसी भी व्यक्ति विशेष या समूह के लिए कंपनी रजिस्टर कराना आसान हो चुका है।

FAQ

किस तरह की कंपनी बनानी चाहिए?

यहां पर निर्भर करता है कि आप कितनी पूंजी निवेश कर सकते हैं और सबसे महत्वपूर्ण कि क्या आप साझेदारी में कंपनी शुरू करना चाहते हैं या नहीं। यदि आप दो या दो से अधिक व्यक्ति हैं और आपका आपस में तालमेल बढ़िया है और सोच मिलती है तो आप साझेदारी कंपनी शुरू कर सकते हैं और यदि आप अपनी अलग सोच के साथ कुछ नया शुरू करना चाहते हैं तो आप एकल कंपनी शुरू कर सकते हैं

कंपनी शुरू करने के लिए कितना पैसा निवेश करना पड़ता है?

किसी कंपनी को रजिस्टर कराने के लिए निवेश इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार की कंपनी शुरू करने जा रहे हैं जैसे एकल कंपनी, सार्वजनिक कंपनी, निजी कंपनी आदि।

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