यदि आप उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ घूमने का प्लान कर रहे हैं तो निश्चित रूप से बद्रीनाथ कपाट खुलने का इंतजार कर रहे होंगे और आज इस पोस्ट के द्वारा आज आपको स्पष्ट जानकारी मिलेगी कि बद्रीनाथ के कपाट कब खुलेंगे 2023 में। इसके अलावा यहां जाने का सही समय खर्चा दूरी तथा बद्रीनाथ में घूमने की जगह के बारे में बताया गया है।

बद्रीनाथ कपाट कब खुलेंगे 2023 में

अमूमन बद्रीनाथ के कपाट मई में खुलते हैं और इनके खुलने का समय लगभग सुबह 4:15 होता है जैसे 2021 में बद्रीनाथ के कपाट 18 मई को सुबह 4:15 बजे खुले थे। उसके बाद 2022 में भी लगभग कितने बजे ही कपाट खुले थे अब 2023 आ चुका है और श्रद्धालु तथा घूमने के शौकीन लोग बद्रीनाथ कपाट खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। आज 28 जनवरी 2023 है और मैं यह पोस्ट श्रद्धालु तथा घूमने के शौकीन दोनों के लिए लिख रहा हूं और आपसे यह कहना चाहता हूं कि जैसे ही हमारे पास बद्रीनाथ कपाट खुलने की सही डेट की जानकारी आएगी मैं उस डेट को इस पोस्ट में अपडेट कर दूंगा अतः हमारे साथ जुड़े रहे। 

बद्रीनाथ में घूमने की जगह खाने रहने जाने का खर्चा दूरी

गूगल मैप के अनुसार हरिद्वार से बद्रीनाथ की दूरी 313 किलोमीटर है जिसे पूरा करने में 10 घंटे 1 मिनट का समय लगता है। हरिद्वार बस अड्डे से आपको सीधे बद्रीनाथ की बस मिल जाती है और जहां तक रेलमार्ग का सवाल है तो अभी तक बद्रीनाथ या उसके आसपास कोई रेलमार्ग नहीं बन पाया है हालांकि रेल मार्ग पर उत्तराखंड के पहाड़ों में तेजी से काम चल रहा है किंतु अभी तक जो रेलवे ट्रैक बिक्षे हैं वह गोचर तक ही पहुंच पाए हैं। बस द्वारा जाने पर हरिद्वार से बद्रीनाथ का किराया  ₹400 से साडे ₹500 है जबकि टैक्सी बुक करने पर यह किराया 3 से 5 गुना बढ़ जाता है और प्राइवेट बस से जाने पर किराया ₹700 से ₹1400 के बीच लगता है। बस में टिकट बुक करते समय आपको ध्यान रखना होगा कि डायरेक्ट बद्रीनाथ जाने वाली बस का टिकट बुक करें क्योंकि कुछ बसें जोशीमठ तक जाती हैं। जोशीमठ से औली की दूरी काफी कम है और मात्र 13 किलोमीटर कवर करने के बाद आप औली पहुंच जाते हैं। 

जोशीमठ से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 50 किलोमीटर है तथा बद्रीनाथ अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है जहां पर आप को आसानी से होटल तथा छोटे लॉज रहने के लिए मिल जाते हैं। इनकी कीमत ₹1000 से शुरू होती है और ₹1500 से ₹2000 में ठीक-ठाक रूम मिल जाते हैं। बद्रीनाथ में अनिल अंबानी का होटल भी है, अनिल अंबानी खुद भी एक बड़े बिजनेसमैन है जो रिलायंस के लिए जाने जाते हैं तथा भारत के और विश्व के सबसे बड़े बिजनेसमैन में से एक मुकेश अंबानी के छोटे भाई हैं। किंतु अनिल अंबानी के इस होटल में आप बुकिंग नहीं कर सकते क्योंकि उन्होंने यह होटल अपने परिवार तथा अपने कुछ खास मित्रों और जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल मीटिंग्स के लिए बनाया है। 

रास्ते में खाने का खर्च

हरिद्वार से बदरीनाथ जाने वाली बस ऋषिकेश, ब्यासी, तीन धारा होते हुए बस रुद्रप्रयाग क्रॉस करती है। यात्रियों को तथा खुद भी भोजन करने के लिए बस ड्राइवर बस को तीन धारा या रुद्रप्रयाग पर आधे घंटे के लिए रोकते हैं। बस अधिकांश तीन धारा नामक छोटी सी जगह पर रूकती है यह पहाड़ों पर स्थित एक छोटी सी जगह है जिसमें 200 मीटर तक कई सारे ढाबे तथा होटल लाइन से है यह जगह भोजन के लिए प्रसिद्ध है। यह सारे ढाबे बिल्कुल खाई के ऊपर स्थित है और यहां हर घर में शौचालय की व्यवस्था है। हालांकि  यहां पर कोई सार्वजनिक शौचालय ही नहीं है और एक छोटा सा शौचालय है जिसके हाल बेहद बेकार है जिस पर सरकार को  ध्यान देने की जरूरत है।

किंतु ऐसा तब तक नहीं हो पाएगा जब तक हमारे मंत्री हेलीकॉप्टर से पहाड़ का दौरा करते रहेंगे और किसी वीआईपी होटल में ठहरते रहेंगे। बहरहाल,  तीन ढाबा में आपको सस्ते, लजीज  और और ताजा भोजन मिल जाता है खास तौर पर यहां आलू के पराठे मिलते हैं जिनकी कीमत ₹30 से शुरू होती है इसके साथ आप ₹10 की दही अलग से ले सकते हैं। इसके अलावा थाली भोजन की कीमत ₹70 होती है तथा चाय के शौकीनों के लिए यहां ₹10 की चाय मिल जाती है।

फास्ट फूड में मैगी मिलता है और जिन लोगों को पेट घूमने की शिकायत ना होती है और खाने का मन नहीं करता है उनके लिए खीरे, नींबू तथा अन्य प्रकार के फल उपलब्ध होते हैं। काला नमक, नींबू युक्त तहजीब से काटे हुए एक खीरे की कीमत 20 से ₹40 के बीच होती है इसके अलावा नींबू पानी तथा पुदीना ना पानी भी यहां ₹20 प्रति क्लास मिल जाता है। काफल उत्तराखंड का सबसे प्रसिद्ध फल माना जाता है और वह भी यहां अप्रैल के महीने में मिल जाते हैं। 

बद्रीनाथ में घूमने लायक जगह 

हालांकि बद्रीनाथ ऊंचे पहाड़ पर स्थित है किंतु यहां घूमना काफी आसान है क्योंकि यहां के रास्ते बाकी पहाड़ों में घूमने लायक जगहों की तुलना में काफी समतल तथा मेंटेन है। 

चरण पादुका – चरण पादुका पौराणिक इतिहास से संबंध रखता है और यह एक प्रकार की पादुका है जिसे पैरों में पहना जाता है अर्थात एक प्रकार की स्लिपर है जिसे महाभारत काल में विष्णु ने अपने पैरों में पहना था।  इसके दर्शन करने के लिए आपको बद्रीनाथ के ऊंचे पहाड़ पर जाना होगा जिसकी ऊंचाई बहुत ज्यादा नहीं है और युवा तथा बच्चे इस पहाड़ पर आसानी से चढ़ जाते हैं। 

गर्म कुंड – बद्रीनाथ का गरम कुंड पूरे भारत में काफी प्रसिद्ध है और इस कुंड का पानी 24 घंटे गर्म रहता है जिसमें आपको कम से कम एक बार डुबकी जरूर लगानी चाहिए। इस कुंड में पानी की हाइट ज्यादा नहीं है यहां पानी लगभग सवा 5 फुट के बराबर ही है अतः इसमें कोई भी व्यक्ति आसानी से डुबकी लगा सकता है। माना जाता है कि गर्म कुंड में एक बार डुबकी लगाने से स्किन की काफी प्रॉब्लम दूर हो जाती है और यह सत्य भी है जिन लोगों को पौराणिक बातों में लॉजिक खोजने की आदत होती है उन्हें साइंटिस्ट बनने से कोई नहीं रोक सकता। बहरहाल, साइंस की बात यह है कि इस गर्म कुंड में नेचुरल सल्फर होता है जिसकी वजह से है इसका पानी हमेशा गर्म रहता है और और यह सल्फर युक्त पानी स्किन के लिए भी अच्छा होता है। वैसे भी इस ठंडे इलाके में गीजर जैसा गर्म पानी का एहसास अगर मिल जाए तो उसमें नहाने में बुराई ही क्या है। इस बहाने जो लोग 5, 8 और 10 दिनों में नहाते हैं कम से कम वे नहा तो लेंगे। 

वासुधारा –  मैं अब तक 1 बार बद्रीनाथ की सैर कर चुका हूं और दूसरी बार के बुलावे का इंतजार कर रहा हूं।  वसुधारा मेरी फेवरेट जगह है, यह पहाड़ से निकलने वाली पानी की एक धारा है जिसके नीचे  खड़े होने की जगह नहीं है बल्कि इसे कुछ दूरी पर खड़ा होना पड़ता है। हालांकि कुछ युवा इसके नीचे छोटे से पहाड़  पर चढ़ते हुए  ठीक इसके नीचे आ जाते हैं ताकि इसकी बूंदे उनपर गिर कर सके। ऐसा माना जाता है कि वसुधारा की बूंदे जिस भी मनुष्य पर पड़ती है उसके पाप धुल जाते हैं और इसलिए कई लोग यहां दक्षिण, पश्चिम तथा भारत की अन्य दिशा से भी आते हैं। वासुधरा को देखने का मजा ही अलग होता है क्योंकि आम झरनों या आम धारा पर पानी एक साथ बहता दिखता है लेकिन यहां हर एक बूंद अलग दिखती है मानो हमने 3डी, 5डी या 7डी का चश्मा पहन रखा हो और यह किसी हॉलीवुड की एडवेंचर फिल्म का एक सीन हो। 

भीम पुल –  अलकनंदा नदी को पार करते वक्त या उसके बाद साइड में एक बड़ा सा पहाड़ है जिस पर पंजे का निशान दिखता है। ध्यान से देखने पर कुछ लोगों को वह निशान हाथ के पंजे का लगता है और कुछ लोगों को घुटने का आकार लगता है। ऐसा माना जाता है कि वह भीम का पंजा है जिसके निशान पहाड़ खिसिखाते वक्त वहां लग गए पर कुछ लोग कहते हैं कि वह घुटने का निशान है। 

व्यास गुफा – एक बड़ा सा पत्थर दिखता है जिसकी आकृति किताब जैसी है और उसके कुछ पन्ने अलग से दिखते हैं। इस गुफा में जाने पर अंदर बैठे पंडित आपको इसकी पूरी कहानी सुनाते हैं और यह भी बताते हैं कि यह किताब किसकी थी इस पर कौन लिख रहा था तथा अलकनंदा नदी जो कुछ दूरी पर गुजर रही होती है क्यों शांत है जबकि 30 सेकंड पहले वह उफान भर रही होती है। व्यास गुफा के क्षेत्र के पास में गणेश गुफा भी है जिसके दर्शन भी आप कर सकते हैं।

चाय की आखिरी दुकान –  यहां की चाय शायद आपने भी हो या ना हो पर इसका नाम तो कहीं ना कहीं सुना होगा। यहां हिंदुस्तान सीमा की चाय की आखिरी दुकान है और इसे चाय की आखिरी दुकान इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके बाद कोई और दुकान नहीं है तथा एक पहाड़ी क्रॉस करने के बाद दूसरे देश की सीमा लग जाती है यानी बॉर्डर आ जाता है। मैंने भी यहां अपने पैरेट के साथ चाय पीने का सम्मान हासिल किया है जो कि अब तक मेरी यादगार चाय बन चुकी है हालांकि चाय की क्वालिटी इतनी खास नहीं है किंतु चाय की आखरी दुकान पर चाय पीने का एहसास खास होता है। 

संबंधित प्रश्न उत्तर

बद्रीनाथ घूमने का सही समय कौन सा होता है?

गर्मियों के समय बद्रीनाथ घूमने का मजा ही अलग है अतः आप मई जून की छुट्टियों में यहां घूमने का प्लान बनाएं पर ध्यान रहे बारिश से पहले वापस चले जाएं क्योंकि भूस्खलन की संभावनाएं पहाड़ी क्षेत्रों में बढ़ जाती हैं। 

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