मनरेगा – आज हम बात करेंगे मनरेगा के लिए कैसे आवेदन करें। मनरेगा में क्या करना पड़ता है, मनरेगा में जॉब कैसे मिलती है, मनरेगा में जॉब कार्ड कैसे बनवाएं आदि ।
मनरेगा योजना कब शुरू हुई
25 अगस्त 2005 को मनरेगा योजना संसद के दोनों सदनों में पारित हो गई थी और पूरे भारतवर्ष में लागू हुई।
मनरेगा क्या है स्पष्ट कीजिए
मनरेगा योजना क्या है – मनरेगा से अभीप्राय महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम योजना है। भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजना के अंतर्गत 100 दिन के गारंटी पर मजदूरों को जॉब मिलती है यानी कि कोई भी व्यक्ति मनरेगा के तहत 100 दिन तक निश्चित रूप से एक जॉब पा सकता है।
मनरेगा के बारे में जानकारी
संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद 25 अगस्त 2005 को यह कानून का रूप ले सका। उस समय मनरेगा का नाम केवल नरेगा था। नरेगा भूतपूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव द्वारा 1991 में प्रपोज किया गया था। 23 अगस्त से इसे संसद में पारित किया गया था नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट 2005 के नाम से। आपको बता दें कि 7 सितंबर 2005 को गैजेट ऑफ इंडिया से नोटिफाई के बाद फरवरी 2006 को इसे 200 जिलों में लागू किया गया 2 फरवरी 2006 को यह कार्यक्रम आंध्र प्रदेश के अनंतपुर से शुरू हुआ। शुरू में इसे 200 पिछड़े जिलों में शुरू किया गया यह असल में सरकार के द्वारा एक्सपेरिमेंट कर इसकी विश्वसनीयता को खंगाला जा रहा था और दूसरे चरण में 1 अप्रैल 2007 से 113 जिलो मे शुरू हुआ बाद में 15 मई 2007 को 13 और जिलों को शामिल कर दिया गया। तीसरा चरण 1 अप्रैल 2008 को शुरू हुआ जिसमें यह पूरे भारत में लागू किया गया।
नरेगा का नाम मनरेगा कब किया गया
2 अक्टूबर 2009 को नरेगा का नाम बदलकर मनरेगा कर दिया गया।
मनरेगा योजना गारंटी
मनरेगा के अंतर्गत गांव के गरीबों को कम से कम 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है यदि मनरेगा में कोई व्यक्ति आवेदन करता है और उसे काम नहीं मिला तो उसे बेरोजगारी भत्ता मिलेगा।
मनरेगा योजना बेरोजगारी भत्ता
जो भी व्यक्ति मनरेगा योजना में आवेदन करेगा और यदि उसे आवेदन करने के बाद 15 दिन के अंदर काम नहीं मिलता है तो उसे बेरोजगारी भत्ता मिलेगा शुरू में मजदूरी दर ₹60 प्रतिदिन रखी गई थी आज की तारीख में यानी सन 2021 में न्यूनतम मजदूरी दर बढ़कर ₹202 हो गई है यहां हर राज्य के हिसाब से थोड़ा बहुत कम या ज्यादा हो सकता है। भ्रष्टाचार ना हो और समय पर पैसा मिले तो बेरोजगारी भत्ता को मनरेगा योजना के लाभ के रूप में देखा जा सकता है
मनरेगा में जॉब कार्ड के लिए आवेदन कैसे करें
आप भी यह सोच रहे हैं कि मनरेगा योजना में काम कैसे मिलता है तो सबसे पहले तो हम आपको यह बताना चाहेंगे कि कोई भी नागरिक जो ग्रामीण भारत में रहता हो वह मनरेगा जॉब के लिए आवेदन कर सकता है। और अब यह भी जान लें कि मनरेगा योजना में काम करने की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। आवेदक को मनरेगा योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन मनरेगा रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है आप ग्राम पंचायत को प्राप्त कर सकते हैं पर एक बात का ध्यान रखें फोन के लिए कोई भी शुल्क नहीं देना पड़ता है। यदि आपसे कोई शुल्क मांगता है तो आप उसकी शिकायत कर सकते हैं।
आप इसकी शिकायत ग्राम पंचायत पी ओ इससे से कर सकते हैं और साथ ही आप DPC को भी इसकी शिकायत कर सकते हैं। आवेदन तैयार हो जाने के बाद ग्राम पंचायत कार्यालय संबंधित अधिकारी के पास जमा कर सकते हैं और अब आपको 15 दिन का इंतजार करना है क्योंकि job card मिलने मे 15 दिन का समय लगता है। और आपको 100 दिन के रोजगार की गारंटी मिल जाती है।
मनरेगा योजना कैसे करें
मनरेगा जॉब योजना – मनरेगा योजना जॉब कार्ड लिस्ट मैं अपना नाम भी चेक कर सकते हैं पर उसके लिए पहले आपको मनरेगा योजना जॉब कार्ड अप्लाई ऑनलाइन करना होगा। मनरेगा से जुड़ने के लिए सबसे पहले जरूरी होता है जॉब कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड लाभार्थी को दिया जाने वाले प्रमुख दस्तावेज है इसे आपको काफी संभाल कर रखना चाहिए इस कार्ड में लाभार्थी यानी आवेदन करने वाले का विवरण होता है जैसे पिता या पति का नाम घर का पता व जॉब कार्ड नंबर होता है।
मनरेगा जॉब गारंटी योजना
मनरेगा के तहत आप अपनी ग्राम पंचायत में भी जॉब कर सकते हैं आप जो भी काम करेंगे उस काम का विवरण आपके जॉब कार्ड में दर्ज किया जाता है और इसके बाद मजदूरी का पैसा सीधे आपके बैंक अकाउंट में जमा कर दिया जाता है इसलिए जॉब कार्ड के डाटा को ठीक से चेक करते रहे और कोई भी हाजिरी ना होने पर या कुछ भी गड़बड़ देखने पर तुरंत उच्च अधिकारी से संपर्क करें नहीं तो आपके पैसों में कटौती हो सकती हैं।
मनरेगा योजना में क्या काम होता है
आप जरूर यह सोच रहे होंगे कि मनरेगा योजना में क्या मिलेगा या मनरेगा योजना में क्या काम है। तो हम आपको बता दें कि मनरेगा योजना के अंतर्गत जल संरक्षण, सूखे की रोकथाम के अंतर्गत वृक्षारोपण, बाढ़ नियंत्रण इसके अलावा भूमि विकास आवास निर्माण, लघु सिंचाई तथा बागवानी जैसे छोटे बड़े काम करवाए जाते हैं। इन कामों के अलावा ग्रामीण संपर्क मार्ग निर्माण आदि कार्य मनरेगा के अंतर्गत आते हैं इन कामों की सूची केंद्र सरकार राज्य सरकार से सलाह लेकर बनाती है।
मनरेगा योजना का उद्देश्य
मनरेगा का सबसे बड़ा उद्देश्य ग्रामीण विकास और रोजगार को तेज गति से आगे बढ़ाना है इसके अलावा मनरेगा योजना का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्ग को मुख्यधारा में शामिल करना है। इस योजना के अंतर्गत गरीबी पलायन और रोजगार के मुद्दों को सही तरीके से सम्मिलित कर उन पर कार्य किया जाता है।
मनरेगा योजना के फायदे
मनरेगा योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस योजना में सरकार के द्वारा विकलांग लोगों को भी कोई ना कोई काम देने का प्रावधान रखा गया है। मनरेगा योजना का दूसरा बड़ा फायदा यह है कि यदि किसी व्यक्ति को मनरेगा योजना में आवेदन करने के बाद कोई भी जॉब यह कार्य नहीं मिल पाता है तो उसे 15 दिन के बाद बेरोजगारी भत्ता मिलता है। मनरेगा योजना है जिसमें विकलांगों को सबसे ज्यादा कार्य मिला है यदि औसत की बात करें तो हर साल औसतन 4. 67 लाख विकलांग लोगों को रोजगार मिला है। महिलाओं के रोजगार की हो मनरेगा के अंतर्गत महिलाओं के लिए भरपूर जॉब है इसके अंतर्गत महिलाओं को लगभग 56% जॉब के अवसर है।
मनरेगा के नकारात्मक पहलू
सबसे पहले तो मनरेगा केवल 100 दिन के लिए किसी व्यक्ति को जॉब देता है जो कि सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना के लिए एक अच्छा विश्वास पैदा नहीं कर पाता है। मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी दर काफी कम है 2019-20 में तो यह भारत की न्यूनतम मजदूरी दर से 18 से 20% कम रही है। कई सारे मजदूरों को 6 से 12 महीने बाद मजदूरी मिलना मनरेगा का सबसे बड़ा नकारात्मक पहलू है। समय पर ऑडिट ना होना या ऑडिट होना ही ना एक बड़ा नकारात्मक पहलू है जो हिसाब किताब में गड़बड़ी करने के लिए जिम्मेदार है। कई बार मजदूरों को उनकी मजदूरी से भी कम मजदूरी दी जाती है और कई बार तो मशीनों से ही कार्य करवा लिया जाता है जिससे कई सारे मजदूरों को काम ही नहीं मिल पाता। यह सब मुद्दे मनरेगा जैसी शानदार योजना में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।
मनरेगा योजना का भ्रष्टाचार
मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि साल 2020-21 की केंद्रीय ग्रामीण मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में मजदूरों को ₹188 के हिसाब से ही भुगतान किया गया है जबकि गुजरात में मनरेगा में मजदूरी दर ₹224 प्रति दिन है। गुजरात जो कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गढ़ माना जाता है जब वही आसानी से भ्रष्टाचार होगा तो बाकी राज्य कैसे बचे रह सकते हैं आइए नजर डालते हैं बाकी राज्यों के मनरेगा भ्रष्टाचार पर भी -राजस्थान में न्यूनतम मजदूरी दर ₹220 की जगह ₹167 ही मनरेगा में काम कर रहे मजदूरों को मिलेशिवराज सिंह चौहान के मध्य प्रदेश में ₹190 के जगह पर ₹180 दिए गए।ममता बनर्जी के पश्चिम बंगाल में न्यूनतम मजदूरी दर रुपए 204 है पर मनरेगा के तहत मजदूरों को ₹193 ही दिया गया।छत्तीसगढ़ में 190 प्रतिदिन के जगह पर ₹174 मजदूरों को भुगतान किए गए।यह एक महत्वपूर्ण कारण है जिससे हजारों नहीं लाखों मजदूरों ने मनरेगा से मन मोड़ दिया है और इससे किनारा कर लिया है अब आलम यह है कि भारत सरकार को मनरेगा योजना में मजदूरी ही नहीं मिल पाते। कई बार ऐसा हुआ है कि मजदूरों को काम करने के बाद भी मजदूरी नहीं मिल पाती है और मनरेगा योजना की सबसे बड़ी खामी है। मनरेगा योजना में भ्रष्टाचार की वजह से कई मजदूरों को या तो पैसे नहीं मिलते या उन्हें कम पैसे दिए जाते हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह है फर्जी पंजीकरण भारत सरकार को जल्द ही इस योजना के लिए कुछ खास करना होगा और इन त्रुटियों को दूर कर इस योजना को फिर से अपने पैरों पर खड़ा करना होगा।