कैंची धाम मेला रद्द होने की वजह

कैंची धाम मेला रद्द होने की वजह वायरस है। कैंची धाम ट्रस्ट ने नीम करौली बाबा के धाम में होने वाले वार्षिक मेले के आयोजन से इंकार कर दिया। यह फैसला हरिद्वार कुम्भ के बाद उत्तराखंड में बढ़ते मामले को देखते हुए लिया गया। कैंची धाम मेला अपने आप में बेहद बड़ा है और हर साल इसमें लाखों लोग देश विदेश से आते हैं। 2021 के 13 अप्रैल को जिला अधिकारी धिराज सिंह गब्र्याल ने कहा था की प्रशाशन हालत के अनुसार निर्णय लेगा और आखिरकार सरकार ने अपनी बंद आँखे खोली और कुम्भ मेले की गलती से सबक लेते हुए कैंची मेले को कैंसिल कर दिया।

उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में सारे देश में अपनी किरकिरी करवाई है और अपने राज्य का मज़ाक बनवाया है यह उपलब्धि सरकार ने हरिद्वार कुम्भ मेले के सफल आयोजन के बाद हांसिल की। जहाँ एक ओर सरकार ने युवाओं के LT पेपर को अनिश्चित काल तक बड़ी ही आसानी से रद कर दिया वहीँ दूसरी ओर साधुओं के सामने बेबस नज़र आई सरकार और कुंभ का ऐसा आयोजन किया की सारी गाइडलाइन की धज्जियाँ उड़ा दी।

मानो सरकार ऐसा कहना चाहती हो की LT के पेपर तो दोबारा 5 साल बाद आ जायेंगे और ये युवा महज़ कुछ रोज़ आंदोलन करेंगे और शांत हो जायेंगे पर ये साधू कहीं श्राप ना दे दें और हमारी सरकार ना गिर जाए। इसलिए वक्त की नज़ाकत को नज़रअंदाज़ कर उन्होंने ये कदम उठाए और यकीन मानिये कैंची धाम मेला इसलिए कैंसिल हुआ क्योंकि वहां आम लोग ही होते हैं और वैसे भी कुम्भ मेले में करवाई किरकिरी का मौका केंद्र सरकार भी राज्य सरकार को दोबारा नहीं देना चाहती क्योंकि वो भी खुद बंगाल में हारकर अपनी किरकिरी करवा चुकी है। केंद्र का मज़ाक ज्यादा बंगाल हार की वजह से नहीं बना बल्कि वैक्सीन होने के बावजूद लोगों तक समय पर ना पहुंचा पाने की वजह से बना है।

दरअसल केंद्र सरकार ने पूरा ध्यान बंगाल इलेक्शन पर लगा रखा था और वायरस को नज़रअंदाज़ कर दिया था। दूसरी बड़ी गलती जो केंद्र ने की वह तो बंगाल इलेक्शन से भी बड़ी गलती है, बीजेपी सरकार ने वैक्सीन अपने सभी देशवासियों को लगाने के बजाए विदेश भेज दी जो की सारे भारतवासियों को लगने के बाद में भी भेजी जा सकती थी और BJP की इस हरकत की वजह से सारे लोग आक्रोशित हैं और विदेशी हंस रहे हैं, देखते हैं किस दिन मीडिया खुलकर बोलेगा !

कैंची धाम मेला कहाँ लगता है

कैंची धाम मेला नीम करौली बाबा धाम में 15 जून को हर साल लगता है। यह मेला पिछले साल भी नहीं लग पाया था। नीम करौली कुमाऊं गढ़वाल के नैनीताल जिले के भवाली नगर के नज़दीक स्थित है।

तीसरे विश्वयुद्ध जैसे हालात

इस मेले में हर वर्ष कई भक्तजन हिस्सा लेते थे किन्तु 2 वर्षों से इस पूरी दुनिया के हालत तृत्य विश्वयुद्ध जैसे बने हुए हैं और यकीन मानिए अगर सारे विश्व ने मिलकर चीन की इस हरकत का जवाब नहीं दिया तो जो हाल जर्मनी और जापान ने 2nd वर्ल्ड वॉर में किया था वही यह देश दोबारा कर सकता है।

क्रिकेट में जब तक वन डे मैच में एक खिलाडी द्वारा 200 रन नहीं बने थे तब तक यह असंभव सा लगता था पर जैसे ही सचिन ने 200 रन का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया तो एक दरवाज़ा सा खुल गया और कुछ समय बाद ही एक के बाद एक सेहवाग और रोहित ने भी 200 रन बना डाले वैसे ही इस बात की क्या गैरंटी है की यह जैविक हमला दोबारा नहीं होगा बल्कि अब तो रास्ते खुल गए हैं और लोगों को पता चल गया की तीसरा विश्वयुद्ध ऐसे भी हो सकता है, या शुरू हो चुका है?