Stephen hawking biography | स्टीफन हाकिंग के बारे में

आज हम जानेंगे स्टीफन हॉकिंग के बारे में यह दुनिया के महान साइंटिस्ट थे और काफी सारी उपलब्धियां हासिल की। शुरू करने से पहले हम आपको बता दें की स्टीफन हॉकिंग पर एक फिल्म भी बनी है स्टोरी ऑफ एवरीथिंग कोशिश करेगी या फिल्मआप जरूर देखें बेहद अच्छी फिल्म है इसमें स्टीफन हॉकिंग के बारे में काफी कुछ बताया गया है।

स्टीफन हाकिंग स्टोरी

स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 को हुआ था जब उनका जन्म हुआ था उस समय सेकंड वर्ल्ड वॉर चल रहा था स्टीफन के पिताजी का नाम फ्रैंक था और उनकी माता जी का नाम इसोबेल था दोनों ही बहुत ज्यादा बुद्धिमान थे फ्रैंक एक मेडिसनल रिसर्चर थे। स्टीफन की फैमिली काफी इंटेलिजेंट थी स्टीफन और उनके पेरेंट्स भी पढाई में व्यस्त रहते थे। हाकिंग की पूरी फॅमिली को पढाई में खास दिलचस्पी थे वे सभी हमेशा पढ़ते ही रहते थे लंच के टेबल पर भी पढ़ते थे। वैसे तो स्टीफन पढ़ाई में काफी तेज थे पर वह अपने सब्जेक्ट में इतने अच्छे नहीं थे जितने की ओवरऑल पढ़ाई में होते थे स्टीफन हॉकिंग के पिताजी चाहते थे कि वह मेडिसिन की फील्ड में डॉक्टर बनें लेकिन स्टीफन हॉकिंस को स्पेस पसंद था और उनको मैथ्स बहुत ज्यादा पसंद था।

स्टीफन हाकिंग एजुकेशन

जब भी स्टीफन हॉकिंग की फैमिली पिकनिक जाती थी तो स्टीफन आसमान की ओर देखते रहते थे और जब भी रात होती थी हाकिंग तारों की ओर देखते रहते थे यह बात उनकी माता जी को पता  चली और वह जान गई कि हाकिंग साइंटिस्ट बनना चाहते हैं। स्टीफन हॉकिंस दरअसल साइंस लेना चाहते थे और साइंस में भी वह मैथ्स लेना चाहते थे हालांकि स्टीफन हॉकिंग शुरू में किसी अच्छे स्कूल या कॉलेज में नहीं पड़े क्योंकि उनके माता-पिता के पास इतने पैसे नहीं थे और स्टीफन हॉकिंस ज्यादातर अपने स्कॉलरशिप पर ही निर्भर करते थे और इसी बदौलत वह 1959 में महज़ 17 साल की उम्र में हॉकिंस का एडमिशन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हो गया ऑक्सफोर्ड में पहले 2 साल ने कोई खास कमाल नहीं किया पर तीसरे साल उन्होंने पढ़ाई में काफी रफ्तार पकड़ी।

स्टीफन हाकिंग की बीमारी (Stephen hawking disease)

कुछ ही समय बाद स्टीफन हाकिंग को यह एहसास हुआ कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी है एक ऐसी बीमारी जिसमें वह बोलते-बोलते अचानक रुक जाते थे कुछ करते-करते अचानक से ही थम जाते थे कोई भी काम अधूरा करके रुक जाते थे दरअसल यह ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग सिग्नल देना अचानक बंद कर देता है। हालांकि हाकिंग ने अपनी बीमारी काफी छुपाई पर देर सवेर उनके पिताजी को पता चल गया क्या उन्होंने देखा कि उनके बेटे की कुछ ज्यादा ही हालत खराब हो रही है तब वह बेटे को डॉक्टर के पास ले गए और वहां उन्हें पता चला कि उन्हें दिमागी बीमारी है।

डॉक्टर ने बताया कि  स्टीफन को  मोटर न्यूरॉन डिज़ीज़ है इनका ब्रेन ठीक से फंक्शन नहीं कर रहा है और इनके पास जीने के लिए मात्र 2 साल हैं। इस बीमारी की वजह से स्टीफन हॉकिंग को चलने में भी प्रॉब्लम आती थी वह कभी-कभी चलते वक्त अचानक गिर जाते थे एक दिन ऐसे ही हुआ वह चलते-चलते यूनिवर्सिटी में अचानक से गिर गए बच्चे जमा हुए और बाद में स्टीफन को डॉक्टर के पास ले जाया गया तो डॉक्टर ने हाकिंग को बताया कि तुम्हे दिमाग की कोई बीमारी है जिसकी वजह से तुम्हारे दिमाग के सिग्नल ठीक से शरीर तक पास नहीं हो पा रहे हैं और जल्द ही तुम्हें पैरालिसिस हो सकता है स्टीफन हॉकिंग यह सुन कर काफी निराश हुए और वे यह सोच रहे थे की मैं अब मात्र 2 साल ही जीवित हूँ तो वह भी आम लोगों की तरह डिप्रेशन में चले गए और खुद को एक कमरे में बंद कर लिया कई समय तक किसी से बात भी नहीं की।

स्टीफन हाकिंग के अविष्कार

जल्द ही जीवन हॉकिंग ने अपने आप को संभाला और यह निर्णय लिया कि भले ही उनके पास 2 साल हो वे पूरे 2 साल अपनी पढ़ाई में लगा देंगे और उसके बाद सिलसिला हुआ शुरू हाकिंग के अविश्वसनीय हाकिंग बनने का सफर उन्होंने लगातार कई सारी थ्योरी दी। उनके तमाम अविष्कारों में से big-bang-theory को सबसे ज्यादा लोकप्रियता हासिल है हालाँकि ऐसी 5-6 थ्योरी और हैं पर सबसे विश्वसनीय बिग बैंग थ्योरी को ही माना जाता है।

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stephen hawking

बिग बैंग थ्योरी में यह बताया गया कि पृथ्वी और पूरे ब्रहमांड की शुरुआत कैसे हुई ब्रहमांड की शुरुआत मात्र 1 बिंदु से हो गई और उसके बाद ब्रहमांड फैलता गया और बनता गया उसी बिंदु से पृथ्वी की भी शुरुआत हुई। सन 1965 में स्टीफन हॉकिंग ने बिगबैंग पर लिखना शुरू किया फिर पूरे यूनिवर्स पर लिखना शुरू किया जो कि 1966 में अक्टूबर में पब्लिश की। इसी दौरान इनको मैथ्स और फिजिक्स पीएचडी भी मिल गई स्टीफन कॉस्मोलॉजी के स्पेशलिस्ट थे कॉस्मोलॉजी यानी जो यूनिवर्स को स्टडी करता है जो स्पेस को पढता है उसे कॉस्मोलॉजिस्ट कहते हैं और स्टीफन हॉकिंग एक कॉस्मोलॉजिस्ट थे।

Stephen hawking big bang theory

1965 में स्टीफन हॉकिंग ने स्पेस पर लिखना शुरू किया था और उन्होंने 1966 में बिग बैंग पर अपनी थेसिस रिलीज की पब्लिक और तमाम साइंस के जानकारों ने इस बुक को काफी प्रोत्साहित किया उनके बीच इस बिग बैंग थ्योरी का अलग ही क्रेज़ नज़र आया क्योंकि इसके पहले लोगों को ब्रहमांड के बारे में कोई खास जानकारी नहीं थी। साइंटिस्ट ने इस थियोरी को सही मानते हुए इस पर खोज करनी शुरू की 

स्टीफन ने बहुत सारी थ्योरी और बहुत सारे अविष्कार किये स्पेस पर और टाइम पर। साइंटिस्ट समूह ने जब अंतरिक्ष की ओर टेलीस्कोप से देखा तो उन्हें दिखे प्लैनेट्स और आगे देखा तो उनको दिखी गैलैक्सीस और आगे देखा तो उनको दिखे क्लस्टर, सूपर क्लस्टर, सूपर गैलेक्सी तो यानी कि यह स्पेस जो बढ़ता जा रहा है तब साइंटिस्ट ने सोचा है कि यदि यह स्पेस  बढ़ रहा है तो इस स्पेस की शुरुआत भी कहीं ना कहीं से हुई होगी कहीं ना कहीं ओपनिंग पॉइंट तो होगा ही जहां से यह सब शुरू हुआ साइंटिस्ट ने आगे देखने की वजह पीछे देखना शुरु किया और उनको मिली समानता।

एक ऐसा पॉइंट जो बहुत ही  ज्यादा घनत्व वाला था बिल्कुल अनस्टेबल ग्रेविटेशनल फोर्स थे डिस्क इन एंगुलर मोमेंटम कंज़र्व होता है और ब्लास्ट होता है जिसको big bang theory बोला गया और यह मैटर जो है पूरी जगह फैल गया यूनिवर्स क्रिएट हुआ सबसे पहले वक्त क्रिएट हुआ, सबसे पहले वक्त आया वहां से समय की शुरुआत होती है उसके बाद पार्टीकल की शुरुआत हुई 
पार्टिकल्स बनने शुरू हुए पार्टिकल्स के बाद मैटर बनना शुरू हुआ तो यह है शुरुआत। यह साढ़े 13 अरब साल पहले शुरू हुआ इसे ही big-bang-theory बोला जाता हालांकि ऐसी और भी कई सारी थ्योरी है पर big-bang-theory को सबसे ज्यादा एक्सेप्ट किया जाता है। जब साइंटिस्ट समूह ने यह देखा कि उन्हें पीछे से शुरुआत करनी है तो इसका यह मतलब नहीं है कि उन्होंने टेलिस्कोप को पीछे की ओर घुमाया बल्कि इसका मतलब है कि मैथमेटिकल तरीके से शुरू से कैलकुलेशन किया जाए यानी कि ऐसी कैलकुलेशन करनी पड़ेगी जिससे वक्त को आगे और पीछे किया जा सकता है और ऐसा करना क्या मुमकिन है!

Stephen hawking time travel

वक्त आगे पीछे कैसे होता है – अल्बर्ट आइंस्टाइन की थ्योरी के अनुसार इस तरह कैलकुलेशन की जा सकती है जिससे वक्त को आगे पीछे किया जा सकता है इस थ्योरी का नाम है थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी इस तरह की कैलकुलेशन को समझाने में कारगर है क्योंकि यहां पर लाइट का विषय आ गया है। यदि आप स्पीड ऑफ लाइट के पास भी पहुंच जाएं यानी कि आप टाइम को कंट्रोल कर पा रहे हैं तभी तो ब्लैक होल के पास टाइम बहुत धीमी गति से चलता है और बिलकुल पास तो वक्त रुक ही जाता है। ग्रेविटी टाइम से अफेक्ट होती है अतः साफ है यदि आपको वक्त आगे या पीछे करना है तो आप थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के जरिए यह कर सकते हैं यह अल्बर्ट आइंस्टीन ने बताया है और उनकी थ्योरी को स्टीफन हॉकिंग सही तरीके से स्टडी किया और इससे भी आगे चलकर उन्होंने ब्लैक होल के कांसेप्ट को स्टडी किया और इस पर प्रकाश डाला और दुनिया को बताया कि आखिरकार यह ब्लैक होल होता क्या है।

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time and speed

ब्लैक होल क्या होता है

दुनिया एक दिन सिमट जाएगी असल में दुनिया हर बार बर्बाद या विस्फोट होकर दोबारा बस्ती है। हॉकिंग्स के अनुसार ऐसा फिर होगा फिर से दुनिया खत्म हो जाएगी और उसके बाद फिर बिग बैंग बनेगा यानि वक्त की शुरुआत होगी फिर दुनिया बसेगी और फिर दुनिया खत्म हो जाएगी उसके बाद पुनः बिग बैंग होगा फिर वितरण होगा यह यूनिवर्स इसी तरह से चलता रहेगा दुनिया बनेगी फिर बिगड़ेगी फिर बनेगी फिर बिगड़ेगी।

ब्लैक होल स्पेस में वह जगह है जहाँ सिर्फ गुरुत्वाकर्षण और अंधकार होता है, जहाँ भौतिक का कोई नियम काम नहीं करता। ऐसी जगह पर समय और स्थान का कोई मतलब नहीं रह जाता। सूरज भी एक तारा है यह भी एक दिन ठंडा पड़ जाएगा कोई भी तारा ज़िंदा कैसे रहता है कोई भी तारा जिंदा ऐसे ही रहता है क्योंकि वहां पर फ्यूजन रिएक्शन होता है जैसे सूरज में हाइड्रोजन मॉलिक्यूल यूज़ करके हीलियम मॉलिक्यूल बना रहे हैं सूरज में काफी ज्यादा एनर्जी है और उसका कोर काफी पावरफुल होता है जैसे ही यह कोर ठंडा पड़ा तो ग्रेविटेशनल फोर्स सूरज को टेकओवर कर लेंगे और उसके बाद एक ब्लैक होल बन जाएगा। ब्लैक होल लाइट को भी खा जाता है वह हर चीज को निगल जाता है।

टाइम कैसे बदलते हैं

यदि मान लीजिए आप किसी ट्रेन से जा रहे हैं और आपका कोई साथी आपको ट्रेन में छोड़ने आया है और वह ट्रेन लाइट की स्पीड से चल रही है तो जब 1 घंटे बाद आप उस ट्रेन से उतरेंगे तो आप पाएंगे कि दुनिया 200 साल आगे बढ़ चुकी है। जितना ज्यादा ग्रेविटेशनल फोर्स होंगे उतना ही वक्त धीरे चलेगा इसीलिए ब्लैक होल के पास वक्त काफी धीमे चलता है बिल्कुल रुक सा जाता है क्योंकि ब्लैक होल में काफी ज़्यादा ग्रेविटेशनल फोर्स होती हैं।

ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम – Stephen hawking book

स्टीफन हॉकिंग की एक महत्वपूर्ण किताब है यह बुक हाकिंग ने 1988 में पब्लिश की इस किताब को देखकर दुनिया चौंक गई इस बुक में हाकिंग ने स्पेस को काफी ज्यादा आसान तरीके से एक्सप्लेन किया है। यह किताब नंबर वन बुक सेलर है अभी भी ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम हर कोई खरीदता है यह बहुत ज्यादा पॉपुलर किताब है यदि आपको टाइम को समझना है स्पेस को समझना है तो आप इस किताब को पढ़ सकते हैं। हाकिंग ने 2005 में भी एक बुक निकाली जिसका नाम इन्होंने रखा ब्रीफर हिस्ट्री ऑफ टाइम स्टीफन हॉकिंग ने एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी जिसमें उन्होंने वक्त और स्पेस के बारे में बताया है यह डॉक्युमेंट्री नेशनल ज्योग्राफिक में भी आई थी इसे आप जरूर देखें।

Stephen Hawking death

14 मार्च 2018 में स्टीफन हाकिंग का देहांत हुआ उस समय वे 76 साल के थे इनकी व्हीलचेयर करोड़ों की थी उस पर बाकायदा कंप्यूटर लगा होता वे कुछ स्क्रीन पर टाइप करते थे वह स्पीच में कन्वर्ट हो जाती हाकिंग की यह वील चेयर ही करोड़ों की थी।

एक समय डॉक्टर्स ने उन्हें यह कह दिया था की वे अब मात्र 2 साल बचेंगे पर हाकिंग के समर्पण और कुछ बड़ा करने के संकल्प ने उन्हें इतने साल जीने पर मजबूर कर दिया। स्टीफन हाकिंग कहते थे की उन्हें मरने से दर नहीं लगता पर वे इतनी आसानी से नहीं मर सकते उन्हें इस दुनिया के लिए कुछ ख़ास काम करना है और वह काम इस महान वैज्ञानिक ने पूरी तरह फिट ना होते हुए भी कर दिखाया।

कर्म क्या होते हैं

महान स्टीफन हाकिंग को हिलयात्री का सलाम है।

दोस्तों आप भी कुछ बड़ा करना चाहते हैं तो बहाने बनाना छोड़ें और अपने कर्म की ओर अग्रसर हो जाएं। कर्म का यह मतलब कतई नहीं की आप किसी के बारे में अच्छा सोच रहे हो तो आपका भी अच्छा ही होगा, यदि आप किसी का भला कर रहे हो तो आपका भी भला ही होगा ऐसी गलत फहमी या खुश फहमी से खुद को जल्दी बहार निकालिये कहीं ज़्यादा देर ना हो जाए क्योंकि जब तक आप अपने लिए खुद मेहनत कर कुछ नहीं करते तब तक कुछ नहीं होगा फिर भले ही आप किसी के लिए कितने भी अच्छे विचार रखते हों या अच्छा सोचें क्योंकि सोचने से कुछ नहीं होता।

कर्म का मतलब होता है की आपने आज अपने लिए कितनी मेहनत की फिर चाहे वो स्मार्ट वर्क हो या हार्ड वर्क आपने दुआ मांगने के बजाए आज कुछ किया या नहीं क्योंकि आपके हर एक दिन की मेहनत पूरे साल का कर्म बन कर सामने आती है और हर साल की गई मेहनत भविष्य बनकर सामने खड़ी नज़र आती है। इसलिए हर एक दिन की कीमत पहचाने अपने काम को ही कर्म मानें और अपने कर्मों के लिए टाइम टेबल बनाएं और वैसे भी एक गिलास उठाने के लिए भी एफर्ट लगाना होता है उस ग्लास के बारे में महज़ अच्छा सोचने से गिलास उठ नहीं जाता।

 

जेम्स वेब्ब स्पेस टेलिस्कोप ( NASA/ESA/CSA James Webb Space Telescope)

क्या बिग बैंग के तुरंत बाद ब्लैक होल बने थे

जेम्स वेब्ब स्पेस टेलिस्कोप – NASA/ESA/CSA जेम्स वेब्ब स्पेस टेलिस्कोप एक आगामी ब्रह्मांडीय टाइम मशीन है जो 13 अरब से अधिक वर्षों से पीछे देख रही है पहले प्रकाश के रहस्य पर प्रकाश डालेगी।

एक नई स्टडी से पता चलता है की ब्रह्माण्ड के शुरुआती क्षणो से ब्लैक होल का अस्तित्व एक से अधिक खगोलीय रहस्यों की व्याख्या कर सकता है। वैज्ञानिक जल्द ही पता लगा सकते हैं की कौन सी थ्योरी सही है इस मिशन का महत्वपूर्ण टारगेट यूनिवर्स की फर्स्ट लाइट का पता लगाना है जो की पहले स्टार का है जो बिग बैंग के बाद बना। यदि वास्तव में ऐसा हुआ तो इससे पता चलेगा की कौन सा सिद्धांत अधिक सही है की ब्लैक होल समय की शुरुआत से मौजूद थे की वे पहली पीढ़ी के तारों के मरने के बाद बनने लगे थे।

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